मलेरिया
मलेरिया रोग मच्छर के काटने से फैलने वाला रोग है। मलेरिया शब्द इटालियन भाषा के शब्द "माला एरिया" के मेल से बना है जिसका तात्पर्य है बुरी हवा। मलेरिया को दलदली बुखार भी कहा जाता है। मलेरिया बुखार मादा मच्छर एनोफ़िलीज़ के काटने से होता है। इन मादा मच्छरों में प्लाज्मोडियम नामक परजीवी (प्रोटोजोआ) होता है और यह मच्छर द्वारा काटे जाने पर खून में प्रवेश कर कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है और व्यक्ति को बीमार कर देता है। मलेरिया यूं तो सामान्य सा रोग लगता है किंतु यदि मरीज के स्वास्थ्य के साथ असावधानी बरती जाती है तो मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
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Malaria ke lakshan, Karan aur khan-paan |
मलेरिया होने पर पीड़ित व्यक्ति को ठंड लगकर बुखार, सिर दर्द, उल्टी, कभी-कभी बहुत अधिक ठंड तथा कभी-कभी बहुत अधिक पसीना आना, एनीमिया, पेट दर्द आदि गंभीर समस्याएं होने लगती हैं। जब किसी व्यक्ति को मादा एनोफिलीज मच्छर काटता है तो उसके रक्त में प्लाज्मोडियम परजीवी पहुंच जाता है। मलेरिया का परजीवी रक्त में पहुंचकर हीमोजाॅइन टॉक्सिन बनाने लगता है। यह विषैला तत्व (हीमोजाॅइन) मानव शरीर के लिए जहर की भांति होता है तथा मानव शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक होता है। जब यह परजीवी व्यक्ति के लीवर में पहुंचता है तो इसकी संख्या में तेजी से वृद्धि होने लगती है तथा यह मनुष्य की लाल रक्त कोशिकाओं में पहुंचकर उन्हें नष्ट करने लगता है। मलेरिया का वायरस एक ब्लड सेल्स में पहुंचता है तथा उन्हें नष्ट कर देता है। इससे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक कमजोर हो जाती है तथा मलेरिया ग्रसित व्यक्ति का शरीर अत्यधिक दुर्बल कमजोर हो जाता है। लाल रक्त कोशिकाओं के लगातार नष्ट होने के कारण मलेरिया के रोगी को एनीमिया खून की कमी की समस्या हो जाती है। जब मलेरिया का मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो मलेरिया के लक्षण तुरंत प्रकट नहीं होते बल्कि मच्छर के काटने के 6 से 8 दिन के बाद शरीर पर मलेरिया के लक्षण प्रकट होते हैं।
जब हमारे घर के आस-पास किसी गड्ढे में या छत पर रखे कूलर या टूटे बर्तन में या कहीं भी जब पानी रुक जाता है तथा यह रुका पानी जब सड़ने लगता है तब मलेरिया के मच्छर इसमें अपने अंडे देते हैं। डेंगू के मच्छर जहां दिन के समय काटते हैं वहीं मलेरिया के मच्छर सूर्यास्त के पश्चात शाम या रात के समय काटते हैं। मलेरिया से बचने के लिए अपने आसपास सफाई रखनी चाहिए, पानी जमा नहीं होने देना चाहिए तथा रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए।
मलेरिया के बुखार का इलाज तुरंत ही अच्छे से करवाना चाहिए अन्यथा यह जीवन के लिए संकट पैदा कर देता है।
लक्षण-
मलेरिया होने पर यह संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:-
- ठंड लगकर तेज बुखार आना,
- कंपकंपी लगना,
- पेट में दर्द,
- जोड़ तथा मांस पेशीय दर्द,
- तेज़ सिरदर्द,
- उल्टी होना या जी मिचलाना,
- थकान व कमजोरी महसूस होना,
- एनीमिया अर्थात खून की कमी होना,
- आंखों की पुतलियों का रंग पीला पड़ जाना,
- बहुत ज्यादा पसीना होना तथा उसके बाद बुखार उतर जाना,
- खून की कमी के कारण त्वचा का रंग पीला पड़ जाना।
कारण-
मलेरिया के कारण निम्नांकित हैं:-
- घर में या घर के आस पास रूका तथा सड़ा हुआ पानी रहना,
- नमी युक्त व सीलन युक्त स्थान पर निवास करना,
- मच्छरदानी का प्रयोग न करना,
- पूरा शरीर ढक कर कपड़े न पहनना,
- झाड़ियों जैसे स्थानों पर जाना। ऐसी जगह पर मच्छर अधिक रहते हैं।
- ज्यादा चटक रंग के कपड़े पहनने के कारण मच्छर गहरे रंग के तरफ ज्यादा तेजी से आकर्षित होते हैं इसलिए हल्के रंग के कपड़े पहने,
- कभी कभी मलेरिया, मलेरिया पीड़ित व्यक्ति के रक्त दान द्वारा भी हो जाता है। चूंकि मलेरिया में लाल रक्त कोशिकाओं में इसके विषाणु फैल कर रक्त कोशिकाओं को नष्ट करते हैं ऐसे में यदि मलेरिया पीड़ित व्यक्ति का रक्त किसी दूसरे स्वस्थ व्यक्ति को चढ़ा दिया जाता है तो उस व्यक्ति के शरीर में भी रक्त के माध्यम मलेरिया विषाणु पहुंच जाते हैं तथा स्वस्थ व्यक्ति भी मलेरिया से संक्रमित हो जाता है।
- अंग प्रत्यारोपण तथा एक ही सीरिंज का दो व्यक्तियों में इस्तेमाल करने के कारण भी मलेरिया हो जाता है स्वस्थ व्यक्ति यानी कि मलेरिया संक्रमित व्यक्ति को लगा सीरिंज यूज होने पर स्वस्थ व्यक्ति को भी मलेरिया का संक्रमण हो जाता है।
क्या खाएं क्या नहीं-
मलेरिया के बुखार में मरीज का यकृत प्रभावित होता है जिस कारण व्यक्ति का भोजन पच नहीं पाता। इसके साथ ही मलेरिया के कारण खून की कमी हो जाती है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता अत्यधिक कमजोर हो जाती है। इसलिए इस दौरान रोगी व्यक्ति को सुपाच्य तथा पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना चाहिए। जो खाद्य पदार्थ उसके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालें उनसे परहेज करना चाहिए।
मलेरिया होने पर इन चीजों का सेवन रोगी व्यक्ति को करना चाहिए:
1. मलेरिया के दौरान हरी सब्जियों का सेवन करें:
मलेरिया में रोगी व्यक्ति का शरीर बहुत कमजोर हो जाता है तथा लाल रक्त कणिकाओं के नष्ट होने के कारण उसे अनेक पोषक तत्व, विटामिंस तथा मिनरल्स की आवश्यकता होती है। इसके लिए रोगी व्यक्ति को हरी सब्जी जैसे पालक, ब्रोकली, हरी मटर, गोभी, पत्ता गोभी, चुकंदर आदि सब्जियों के सूप का सेवन करना चाहिए। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है तथा कमजोरी भी दूर हो जाती है।
2. मलेरिया होने पर दूध पिएं:
दूध में सभी पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं तथा दूध पीने से ताकत भी आती है। इसलिए मलेरिया के रोगी व्यक्ति को दूध पीना चाहिए। मलेरिया के शुरुआती दिनों में रोगी को केवल तरल आहार ही देना चाहिए। रोगी व्यक्ति दूध के साथ फल आदि ले सकता है। इससे रोगी व्यक्ति की कमजोरी भी दूर हो जाती है तथा रोग से लड़ने की क्षमता भी बढ़ती है।
3. मलेरिया में फलों तथा फलों के जूस का सेवन करें:
मलेरिया होने पर रोगी व्यक्ति को ताजे फलों का सेवन करना चाहिए। फलों के सेवन से शरीर को एनर्जी भी मिलती है तथा यह आसानी से पच भी जाते हैं। मलेरिया के दौरान पपीता, सेब, संतरा, अंगूर के अलावा आम जैसे फलों का सेवन मलेरिया के मरीज को करना चाहिए। मलेरिया के शुरुआती दिनों में रोगी को फलों का ही सेवन करना चाहिए। फलों में विटामिन सी व अन्य पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं इनके सेवन से शरीर को ऊर्जा मिलती है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिस कारण शरीर में आई कमजोरी भी दूर हो जाती है।
4. मलेरिया होने पर ओमेगा 3 फैटी एसिड लें:
ओमेगा 3 फैटी एसिड स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। मलेरिया के रोगी व्यक्ति को इसका सेवन करना चाहिए। मलेरिया के बुखार में त्वचा में जलन होती रहती है, ओमेगा-3 फैटी एसिड के सेवन से जलन होना बंद हो जाती है। इसलिए मलेरिया के रोगी व्यक्ति को ओमेगा 3 फैटी एसिड का सेवन करना चाहिए अत्यंत लाभकारी होता है।
5. मलेरिया होने पर ज्यादातर तरल पदार्थों का ही सेवन करें:
मलेरिया होने पर रोगी व्यक्ति की पाचन शक्ति बहुत कमजोर हो जाती है। रोगी व्यक्ति का लीवर बहुत ही कमजोर हो जाता है इसलिए मलेरिया के मरीज व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का ही सेवन करना चाहिए ताकि आसानी से पच जाए। मलेरिया होने पर शुरुआत के कुछ दिनों तक डॉक्टर केवल लिक्विड अर्थात तरल आहार लेने की सलाह देते हैं। इसके अलावा तरल आहार के सेवन से मलेरिया का वायरस यूरिन के जरिए शरीर से बाहर भी निकल जाता है।
6. मलेरिया होने पर आयरन से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए:
मलेरिया होने पर इसके परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित कर नष्ट करने लग जाते हैं जिसके कारण रोगी को खून की कमी हो जाती है तथा उसका शरीर अत्यंत कमजोर हो जाता है। इसलिए मलेरिया के रोगी व्यक्ति को आयरन से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए। इसके लिए मलेरिया के रोगी को पालक, चुकंदर, गुड़, सागा प्याज, टमाटर, केला, साबुत अनाज आदि चीजों का सेवन करना चाहिए। इन चीजों में आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा लोहे की कढ़ाई में खाना बनाकर खाने से भी आयरन की कमी पूरी हो जाती है।
7. मलेरिया में तुलसी की चाय का सेवन करना चाहिए:
तुलसी बहुत ही ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक होती है तथा तुलसी स्वयं में ही एक औषधि है। मलेरिया के रोगी को तुलसी के पत्तों, तुलसी की चाय या काढ़े का सेवन करना चाहिए। तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है तथा हमारे शरीर को किसी भी प्रकार के संक्रमण से लड़ने की क्षमता रहती है तथा संक्रमण को नष्ट करती है।
8. मलेरिया में खिचड़ी खाना चाहिए:
मलेरिया में शुरुआत में तो पूरी तरह से ही रोगी को तरल आहार ही भोजन में लेने की सलाह दी जाती है। लेकिन तरल आहार के कुछ समय बाद रोगी को खिचड़ी भोजन में दी जा सकती है। मूंग की खिचड़ी सबसे ज्यादा सुपाच्य होती है इसलिए रोगी इसका सेवन आसानी से कर सकता है किंतु खिचड़ी एकदम सादी बनी हो, बिना तेल मसाले के अन्यथा यह पाचन तंत्र व लीवर पर दबाव डालेगी।
9. मलेरिया होने पर अमरूद का सेवन करना चाहिए:
मलेरिया के रोगी को अमरूद का सेवन करना चाहिए। अमरुद में अनेक पोषक तत्व मौजूद होते हैं। अमरुद मलेरिया के बुखार में राहत पहुंचाता है। लेकिन ध्यान रहे मलेरिया पीड़ित व्यक्ति को अमरूद का सेवन केवल दिन के समय ही करना चाहिए शाम या रात के समय इसका सेवन करने से खांसी-जुकाम होने की संभावना रहती है।
10. मलेरिया होने पर पालक-चुकंदर के रस का सेवन करना चाहिए:
मलेरिया होने पर रोगी व्यक्ति के शरीर में खून की कमी हो जाती है क्योंकि मलेरिया के वायरस रेड ब्लड सेल्स को नष्ट कर देते हैं। इसलिए रोगी व्यक्ति को पालक और चुकंदर का जूस लेना चाहिए। इन दोनों में ही आयरन भरपूर मात्रा में होता है जो तेजी से शरीर में खून की कमी को पूरा कर देता है।
11. मलेरिया के दौरान गर्म पानी का सेवन करना चाहिए:
मलेरिया के दौरान साफ व शुद्ध पानी का सेवन करना चाहिए। मलेरिया के दौरान चुंकि रोगी को बहुत ठंड लगती है इसलिए उसे गर्म पानी का सेवन करना चाहिए। ताकि रोगी व्यक्ति के शरीर में अंदर व बाहर दोनों ओर से गर्माहट बनी रहे।
12. मलेरिया में संतरे के रस का सेवन करना चाहिए:
संतरा एक बहुत ही फायदेमंद फल होता है इसमें विटामिन सी व अन्य पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। संतरे तथा संतरे के जूस का सेवन करने से मलेरिया का वायरस शरीर से दूर भाग जाता है। इसलिए मलेरिया के रोगियों के लिए संतरा रामबाण औषधि है इसके साथ ही संतरे के सेवन से शरीर में स्फूर्ति आ जाती है तथा इम्यून पावर भी मजबूत होता है।
13. मलेरिया में नींबू पानी का सेवन करें:
मलेरिया के रोगी को नींबू पानी का सेवन करना चाहिए। नींबू पानी के सेवन से शरीर में ताजगी बनी रहती है तथा तेज बुखार के कारण जो मुंह का स्वाद बदल जाता है वह भी अच्छा हो जाता है। नींबू पानी के सेवन से शरीर का भारीपन भी कम होता है। मलेरिया के दौरान ज्यादा से ज्यादा तरह पदार्थों का ही सेवन करना चाहिए ऐसा करने से मलेरिया का वायरस यूरिन के जरिए धीरे-धीरे शरीर से बाहर निकल जाता है।
मलेरिया में रोगी व्यक्ति का लीवर बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित होता है तथा व्यक्ति को तीव्र ज्वर के साथ ही अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए इस दौरान खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए तथा नीचे दी गई चीजों को खाने से परहेज़ करना चाहिए:
1. मलेरिया में चाय-कॉफी का सेवन न करें:
चाय कॉफी का सेवन मलेरिया के दौरान बिल्कुल नहीं करना चाहिए। चाय कॉफी में पाया जाने वाला कैफ़ीन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है तथा कैफीन युक्त चीजों के सेवन से शरीर के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसमें पाया जाने वाला कैफ़ीन शरीर में जाकर पेट में एसिडिटी के लेवल को भी बढ़ा देता है तथा मलेरिया में वैसे ही पाचन प्रणाली बहुत अधिक प्रभावित होती है, चाय कॉफी उस पर और अधिक विपरीत प्रभाव डालते हैं।
2. मलेरिया के दौरान नॉनवेज का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए:
मलेरिया होने पर लीवर तथा पाचन प्रणाली प्रभावित होते हैं इसलिए रोगी को हल्का, तरल और सुपाच्य भोजन करना चाहिए। नॉनवेज अत्यधिक गरिष्ठ होता है तथा मलेरिया के बुखार के कारण पाचन तंत्र निष्क्रिय हो जाता है इसलिए मलेरिया के रोगी को नॉनवेज का सेवन कतई नहीं करना चाहिए क्योंकि वह पच नहीं पाता तथा रोगी की समस्या और अधिक बढ़ सकती है।
3. मलेरिया में शराब का सेवन न करें:
शराब का सेवन तो वैसे भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है किंतु मलेरिया होने पर शराब का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। शराब व्यक्ति के इम्यून पावर को क्षीण कर देती है तथा रोगी के शरीर को और अधिक कमजोर कर देती है। शराब का सेवन करने वाले व्यक्तियों को सदैव ही पाचनसंबंधी समस्याएं रहती है और मलेरिया में वैसे भी पाचन शक्ति व लीवर बहुत ज्यादा प्रभावित रहते हैं इसलिए शराब के सेवन से रोगी की हालत और ज्यादा गंभीर हो सकती है, इसलिए मलेरिया के दौरान शराब का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए।
4. मलेरिया में ठंडी तासीर वाली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए:
मलेरिया में ठंड बहुत लगती है तथा कंपकंपी ठंड लगकर तेज बुखार आ जाता है। इसलिए मलेरिया के रोगी को ठंडी तासीर वाली किसी भी प्रकार की चीजों का सेवन जैसे फ्रीज में रखी चीजों, आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक व किसी भी ठंडी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए। मलेरिया के दौरान रोगी द्वारा ठंडी चीजों का सेवन करने से रोगी की हालत बिगड़ सकती है।
5. मलेरिया के दौरान इन फलों का सेवन न करें:
मलेरिया में वैसे तो फलों का सेवन करना अत्यधिक लाभदायक होता है किंतु कुछ फलों का सेवन मलेरिया रोग के दौरान नहीं करना चाहिए। मलेरिया होने पर आम, लीची, अनानास, अनार, गन्ने आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। ये फल होते तो बहुत गुणकारी है लेकिन इनकी तासीर ठंडी होती है।
6. मलेरिया के रोगी को दही का सेवन नहीं करना चाहिए:
दही खाने से सर्दी-ज़ुकाम आदि होने की संभावना अधिक रहती है। दही की तासीर ठंडी होती है इसलिए मलेरिया के मरीज को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। दही, मूली आदि के सेवन से मलेरिया के रोगी को बचना चाहिए।
7. मलेरिया होने पर एसी में न सोएं:
मलेरिया होने पर ठंड बहुत तेज लगती है तथा ठंड के साथ बुखार आता है ऐसे में रोगी को जहां तक हो सके अपने शरीर को ज्यादा से ज्यादा घर में रखना चाहिए तथा ठंडक से स्वयं को बचाना चाहिए। इसलिए मलेरिया के रोगी को एसी में रहना वह सोना नहीं चाहिए।
8. मलेरिया होने पर मसालेदार तथा वसायुक्त भोजन का सेवन न करें:
मलेरिया होने पर पाचन प्रणाली इतनी ज्यादा कमजोर में निष्क्रिय हो जाती है कि रोगी व्यक्ति को मलेरिया के शुरुआती दिनों में केवल तरल पदार्थ जैसे दूध,जूस, सूप, नींबू पानी आदि का सेवन करने की सलाह दी जाती है। ऐसे में रोगी व्यक्ति को मिर्च मसालेदार तथा तेल व चिकनाई युक्त भोजन का सेवन कराना अत्यंत हानिकारक है। ऐसे गरिष्ठ भोजन रोगी व्यक्ति पचा नहीं पाता तथा उसकी स्थिति और अधिक खराब हो जाती है। इसके अलावा मलेरिया में तेज बुखार होता है और ऐसे में यदि तेल मसाले का सेवन रोगी व्यक्ति करता है तो उसे टाइफाइड या पीलिया होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। इसलिए मलेरिया में ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए।
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