निमोनिया के लक्षण,कारण,बचाव एवं परहेज
निमोनिया वैसे तो एक साधारण सा रोग है लेकिन यदि सावधानी न बरती जाए और सही से इलाज न किया जाए तो एक गंभीर बीमारी बन जाती है। निमोनिया सांस से जुड़ी एक बीमारी है जिसमें फेफड़ों में इंफेक्शन हो जाता है। निमोनिया रोग बच्चों और बुजुर्गों में अधिक देखा जाता है तथा इस बीमारी के घातक होने का खतरा भी इन्हीं लोगों में ज्यादा होता है क्योंकि बच्चों और बुजुर्गों की इम्यून पावर कमजोर होती है। निमोनिया सामान्य रूप से वायरल बुखार, सर्दी, जुखाम या फेफड़े में किसी चोट आदि के लगने के कारण भी हो सकता है। सामान्यता निमोनिया 10 से 12 दिन में ठीक हो जाता है किंतु यदि सही उपचार नहीं किया जाता है तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। छोटे बच्चों को अक्सर ही यह बीमारी हो जाती है और सही देखभाल न कर पाने के कारण कई बार बच्चों की मौत भी हो जाती है। किंतु यदि सही से इलाज व देखभाल की जाए तो कुछ ही दिनों में बच्चा या कोई भी व्यक्ति इस बीमारी से बाहर आ सकता है। निमोनिया होने पर फेफड़ों में सूजन आ जाती है और कभी-कभी फेफड़ों में पानी भी भर जाता है।
निमोनिया होने पर व्यक्ति को सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है। फेफड़े में पूरी सांस भर नहीं पाती। शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और इस कारण खून साफ नहीं हो पाता तथा रोगी के हाथ, पैर, नाखून व होंठ आदि नीले पड़ जाते हैं। फेफड़े में इन्फेक्शन के कारण रोगी को खांसी बहुत ज्यादा आती है और खांसते समय सीने में असहनीय दर्द होता है। सही से सांस न ले पाने के कारण तथा खांसी के कारण व्यक्ति रात में सो नहीं पाता। इसके अलावा निमोनिया होने पर व्यक्ति को बेचैनी सी हो जाती है।
निमोनिया होने पर व्यक्ति को सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है। फेफड़े में पूरी सांस भर नहीं पाती। शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और इस कारण खून साफ नहीं हो पाता तथा रोगी के हाथ, पैर, नाखून व होंठ आदि नीले पड़ जाते हैं। फेफड़े में इन्फेक्शन के कारण रोगी को खांसी बहुत ज्यादा आती है और खांसते समय सीने में असहनीय दर्द होता है। सही से सांस न ले पाने के कारण तथा खांसी के कारण व्यक्ति रात में सो नहीं पाता। इसके अलावा निमोनिया होने पर व्यक्ति को बेचैनी सी हो जाती है।
निमोनिया का संक्रमण होने पर व्यक्ति के एक या दोनों फेेेफडो़ के वायु के थैलों में द्रव या मवाद भर जाता है, इसी से सूूूजन आ जाती है। जिससे बलगम या मवाद वाली खांसी तथा सांस लेने में तकलीफ होती है।
यहां हम निमोनिया के लक्षण, कारण व उपचार आदि के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
1. ठंड लगने के साथ तेेज बुखार,
2. सीने में कफ जम जाना,
3. खांसी के साथ गाढ़ा बलगम तथा कभी कभी खून भी आना,
4. तेज तेज सांस लेना या सांस फूूलना,
5. निमोनिया होने पर व्यक्ति का चेहरा व आंखें लाल होने लगती हैं,
6. प्यास ज्यादा लगना,
7. सिर में तेज़ दर्द,
8. भूूख कम लगना तथा भोजन में रुचि खत्म होना,
9. दिल की धड़कन तेज हो जाना,
10. नाखून, त्वचा व होंठ आदि का नीला पड़ जाना,
11. सांस लेने में दिक्कत होना तथा सांस लेने पर घर-घराहट की आवाज आना,
12. पसलियों में दर्द,
13. गंभीर परिस्थिति में फेफड़े भी गलने लगते हैं ,
14. पूर्ण रूप से सांस न ले पाने के कारण मस्तिष्क तक ऑक्सीजन सही से नहीं पहुंच पाते जिस कारण मतिभ्रम भी होने लगता है।
1. जरूरत से ज्यादा मेहनत करने के कारण विशेषकर धूल वाली जगहों पर काम करने पर,
2. ज्यादा ठंडा पानी पीने पर और ज्यादा ठंडी चीजों का सेवन करने के कारण,
3. हवा में रहने के कारण,
4. रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण,
5. किसी निमोनिया ग्रसित व्यक्ति के संपर्क में आने पर, उसका झूठा खाने पर, उससे संक्रमित होने के कारण निमोनिया हो जाता है।
6. यदि सर्दी जुखाम बहुत दिनों तक ठीक नहीं होता, तो वह निमोनिया का रूप ले लेता है,
7. सीने पर किसी भी प्रकार की चोट लगने के कारण,
8. खसरा तथा चिकन पॉक्स की बीमारी के बाद भी निमोनिया होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।
तो आइए हम आगे जानते हैं कि निमोनिया में किन चीजों का सेवन करना चाहिए और किन चीजों से परहेज करना चाहिए-
यहां हम निमोनिया के लक्षण, कारण व उपचार आदि के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
लक्षण-
निमोनिया होने पर व्यक्ति के शरीर में कई तरह के लक्षण नजर आने लगते हैं,
जो कि इस प्रकार हैं:1. ठंड लगने के साथ तेेज बुखार,
2. सीने में कफ जम जाना,
3. खांसी के साथ गाढ़ा बलगम तथा कभी कभी खून भी आना,
4. तेज तेज सांस लेना या सांस फूूलना,
5. निमोनिया होने पर व्यक्ति का चेहरा व आंखें लाल होने लगती हैं,
6. प्यास ज्यादा लगना,
7. सिर में तेज़ दर्द,
8. भूूख कम लगना तथा भोजन में रुचि खत्म होना,
9. दिल की धड़कन तेज हो जाना,
10. नाखून, त्वचा व होंठ आदि का नीला पड़ जाना,
11. सांस लेने में दिक्कत होना तथा सांस लेने पर घर-घराहट की आवाज आना,
12. पसलियों में दर्द,
13. गंभीर परिस्थिति में फेफड़े भी गलने लगते हैं ,
14. पूर्ण रूप से सांस न ले पाने के कारण मस्तिष्क तक ऑक्सीजन सही से नहीं पहुंच पाते जिस कारण मतिभ्रम भी होने लगता है।
कारण-
निमोनिया वायरस, बैक्टीरिया, फफूंदी व परजीवी के कारण होने वाला रोग है। यह सब सांस के माध्यम से फेफड़े में पहुंचकर इंफेक्शन पैदा कर देते हैं। स्ट्रैप्टोकोकस नामक बैक्टीरिया से यह सबसे ज्यादा फैलता है। निमोनिया कई कारणों से फैल सकता है। व्यक्ति को इन कारणों से सतर्क रहना चाहिए तथा यह कारण कुछ इस प्रकार हैं:1. जरूरत से ज्यादा मेहनत करने के कारण विशेषकर धूल वाली जगहों पर काम करने पर,
2. ज्यादा ठंडा पानी पीने पर और ज्यादा ठंडी चीजों का सेवन करने के कारण,
3. हवा में रहने के कारण,
4. रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण,
5. किसी निमोनिया ग्रसित व्यक्ति के संपर्क में आने पर, उसका झूठा खाने पर, उससे संक्रमित होने के कारण निमोनिया हो जाता है।
6. यदि सर्दी जुखाम बहुत दिनों तक ठीक नहीं होता, तो वह निमोनिया का रूप ले लेता है,
7. सीने पर किसी भी प्रकार की चोट लगने के कारण,
8. खसरा तथा चिकन पॉक्स की बीमारी के बाद भी निमोनिया होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।
निमोनिया में क्या खाएं और क्या नहीं:
निमोनिया एक संक्रामक रोग है तथा यह किसी को भी से हो सकता है। निमोनिया में व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अत्यधिक कमजोर हो जाती है। इस कारण रोगी व्यक्ति का शरीर अंदरूनी ढंग से बहुत कमजोर हो जाता है। इसलिए व्यक्ति को पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए जिससे कि उसकी इम्यून पावर मजबूत हो और वह जल्द ही पूरी तरह से स्वस्थ हो जाए। साथ ही ऐसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए जो रोग को बढ़ाएं।तो आइए हम आगे जानते हैं कि निमोनिया में किन चीजों का सेवन करना चाहिए और किन चीजों से परहेज करना चाहिए-
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